Saturday, June 4, 2022

2010 में ₹5 लाख से शुरु करके ₹800 करोड़ की संपत्ति: जानिए क्या है ‘यंग इंडियन’ से गाँधी परिवार का नाता, क्यों राहुल-सोनिया हैं ED के घेरे में ?


                                                                           नेशनल हेराल्ड (National Herald) से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने कॉन्ग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गाँधी (Sonia Gandhi) और उनके बेटे राहुल गाँधी (Rahul Gandhi) को तलब किया है। ईडी के अनुसार, गाँधी परिवार द्वारा नियंत्रित एनजीओ, जिसकी शुरुआत 2010 में केवल 5 लाख रुपए से हुई थी, अब उसकी संपत्ति 800 करोड़ रुपए से अधिक है। इस समय हेराल्ड हाउस के बाहर एक पासपोर्ट कार्यालय है।।         

यह कहानी 2008 में शुरू होती है, जब नेशनल हेराल्ड की प्रकाशक कंपनी एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) लगभग बंद होने की कगार पर थी। यह वह समय था, जब AJL के मालिक कॉन्ग्रेस ने छपाई और प्रकाशन व्यवसाय को बंद कर दिल्ली, मुंबई, पंचकूला, लखनऊ और पटना के प्रमुख स्थानों पर मौजूद इसकी प्रॉपर्टी से कमाई का दूसरा विकल्प तलाशा। कंपनी ने अखबार छापना भी बंद कर दिया। कॉन्ग्रेस पार्टी ने इन शहरों के प्राइम लोकेशनों पर मौजूद इसकी प्रॉपर्टी को उस समय औने-पौने दामों में खरीदी थी, जब संबंधित राज्यों में उसकी सरकारें हुआ करती थीं।     

2010 के नवंबर में सोनिया गाँधी, ऑस्कर फर्नांडीज और गाँधी परिवार के कुछ अन्य करीबियों ने एक नई कंपनी ‘यंग इंडियन’ बनाई। जब यह कंपनी अस्तित्व में आई तो इसके पास सिर्फ 5 लाख रुपए की पूँजी थी। कुछ ही समय बाद कथित रूप से इसने कोलकाता स्थित एक शेल कंपनी से 1 करोड़ रुपए का लोन लिया, ताकि यह कॉन्ग्रेस पार्टी के साथ एजेएल और उसकी सभी संपत्तियों के अधिग्रहण के लिए लेन-देन कर सके। आज की तारीख में सोनिया गाँधी, उनके बेटे राहुल गाँधी और बेटी प्रियंका गाँधी यंग इंडियन कंपनी के सबसे बड़े शेयरहोल्डर हैं। इसकी अब पूरे देश में 800 करोड़ रुपए की संपत्ति है। 2017 में आयकर विभाग ने यंग इंडियन द्वारा एजेएल के अधिग्रहण को चुनौती दी। आईटी विभाग के आरोपों को खँगालने के बाद सोनिया गाँधी और राहुल गाँधी की आयकर रिटर्न की फाइल फिर सवालों के घेरे में आ गई थी।  

आयकर विभाग ने भी यंग इंडियन के द्वारा एसोसिटेड जर्नल लिमिटेड (एजेएल) की खरीद को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने आयकर विभाग के आरोपों की पुष्टि की थी और उसे सोनिया और राहुल गाँधी के आईटी रिटर्न खोलने की इजाजत भी दी थी, जिनके पास यंग इंडियन का अधिकांश शेयर है।  दरअसल, यंग इंडियन को सेक्शन 25 के तहत एक चैरिटेबल संस्था बनाई गई थी, जिसे टैक्स से छूट दी गई थी। गाँधी परिवार की कंपनी ने आयकर विभाग में इस छूट के लिए मार्च 2011 को आवेदन दिया था, जब केंद्र में मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली कॉन्ग्रेस की सरकार थी और 9 मई 2011 को बिना किसी दिक्कत के इसे मंजूरी भी दे दी गई। एक गैर-लाभकारी संस्था के रूप में पंजीकृत होने के बावजूद यंग इंडियन ने पब्लिशिंग हाउस होने की आड़ में संपत्तियों का अधिग्रहण करना शुरू कर दिया। इसे वर्ष 2010-11 में भी टैक्स में छूट प्राप्त हुआ। यंग इंडियन अपनी बेशकीमती संपत्तियों पर नियंत्रण के लिए संघर्ष कर रही है, जिसमें दिल्ली का हेराल्ड हाउस भी शामिल है। इसकी अनुमानित कीमत करोड़ों में है। आवास और शहरी विकास मंत्रालय ने इसकी लीज इस आधार पर रद्द कर दिया था कि अखबार छापने की जगह इसका इस्तेमाल वित्तीय फायदे के लिए किया जा रहा है, जो कि लीज के नियमों का उल्लंघन है।  गाँधी परिवार ने इस आदेश के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसे खारिज किया जा चुका है। पंचकूला की प्रॉपर्टी भी पहले ही ईडी जब्त कर चुकी है। सोनिया और राहुल गाँधी को प्रवर्तन निदेशालय अधिकारियों के सामने कंपनी की इन्हीं के बारे में बताना है। बहादुर शाह जफर मार्ग पर स्थित हेराल्ड हाउस, एजेएल द्वारा अधिग्रहित पहली संपत्तियों में से एक था। इमारत वर्तमान में भारत सरकार को किराए पर दी गई है, जो अपने परिसर में एक पासपोर्ट सेवा केंद्र चलाती है। आवास और शहरी विकास मंत्रालय ने वर्तमान में सैकड़ों करोड़ की कीमत के आवंटन खंड के उल्लंघन का हवाला देते हुए अपनी लीज डीड रद्द कर दी है। संपत्ति के कब्जे को लेकर गाँधी परिवार पर मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप लगने के बाद 2019 में ईडी ने पंचकूला में एजेएल द्वारा अधिग्रहित 65 एकड़ जमीन पर कब्जा कर लिया। गाँधी परिवार के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का मामला एजेएल के स्वामित्व वाली संपत्तियों के अधिग्रहण के बाद यंग इंडियन को ट्रांसफर किए जाने के बाद शुरू हुआ। ईडी ने जमीन की जानकारी का खुलासा करते हुए बताया कि प्लॉट नंबर सी-17, सेक्टर 6, पंचकूला को एजेएल को तत्कालीन हरियाणा के सीएम भूपिंदर सिंह हुड्डा ने 1982 में पहली बार आवंटित किया था। कंपनी द्वारा वाणिज्यिक हितों के लिए भूमि का उपयोग करते पाए जाने के 10 साल बाद आवंटन रद्द कर दिया गया था। हालाँकि, वही जमीन कंपनी को 2005 में महज 59.39 लाख रुपए में आवंटित की गई थी। इसी तरह मई 2020 में ईडी ने मुंबई के बांद्रा में एजेएल की संपत्ति को कुर्क किया, जिसमें एक 9 मंजिला इमारत भी शामिल है। इसकी कीमत 16.38 करोड़ रुपए है। ईडी द्वारा मनी लॉन्ड्रिंग के एंगल से संबंधित कुर्की आदेश एजेएल और उसके चेयरमैन-सह-मैनेजिंग डायरेक्टर रहे मोती लाल वोरा के खिलाफ जारी किया गया था।

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