Saturday, July 31, 2021

बहुत खास होता है आपके PAN का चौथा और पांचवां अक्षर, जानिए इससे क्या पता चलता है





पैन का चौथा अक्षर (ALWPG5809L में लिखा गया P) पैन होल्डर के स्टेटस के बारे में बताता है. यह अक्षर A,B,C,F,G,H,J,L,P,T हो सकता है. इनमें से कोई अक्षर पैन का चौथा वर्ण हो सकता है. इन सभी अक्षरों का अपना-अपना संकेत है।


पैन PAN यानी कि परमानेंट अकाउंट नंबर. पैन दरअसल 10 अंकों और अक्षरों का मिला जुला (alphanumeric) यूनिक नंबर है जिसे इनकम टैक्स डिपार्टमेंट जारी करता है. पैन में दिए गए 10 अंकों और अक्षरों का खास महत्व है और उससे कुछ खास संकेत और जानकारियां मिलती हैं. पैन पर लिखे अक्षर और अंकों को देखें तो शुरुआती के पांच अक्षर वर्ण के क्रम के अनुसार (alphabetic series) होते हैं जो AAA से ZZZ तक होते हैं. जैसे ALWPG5809L.

पैन का चौथा अक्षर (ALWPG5809L में लिखा गया P) पैन होल्डर के स्टेटस के बारे में बताता है. यह अक्षर A,B,C,F,G,H,J,L,P,T हो सकता है. इनमें से कोई अक्षर पैन का चौथा वर्ण हो सकता है. इन सभी अक्षरों का अपना-अपना संकेत है. अक्षरों से ही सभी बात समझी जा सकती है. A लिखने का अर्थ है एसोसिएशन ऑफ परसन (AoP), B का अर्थ है बॉडी ऑफ इंडिविजुअल (BoI), यहां सी मतलब कंपनी से है, F का अर्थ है फर्म या लिमिटेड लायबिलिटी पार्टनरशिप, G का अर्थ गवर्मेंट एजेंसी, H यानी कि हिंदू अनडिवाइडेड फैमिली (HUF).


PAN के चौथे अक्षर का अर्थ

इसी तरह, अगर चौथा अक्षर J लिखा है तो इसका अर्थ है आर्टिफिशियल ज्यूरिडिकल परसन, L अक्षर लिखा हो तो इसका अर्थ है लोकल अथॉरिटी, P से अर्थ किसी व्यक्ति (individual) से है जबकि यहां T लिखा हो तो उसे ट्रस्ट (trust) मान कर चलें. ऊपर उदाहरण के लिए दिया गया पैन (काल्पनिक) ALWPG5809L में चौथा अक्षर P है. इससे पता चलता है कि यह पैन किसी व्यक्ति का है, न कि किसी ट्रस्ट, सरकारी एजेंसी या लोकल अथॉरिटी का.

PAN का पांचवां अक्षर क्या बताता है

पैन का पांचवां अक्षर भी बेहद खास होता है. यह पैन होल्डर के अंतिम नाम या सरनेम का पहला अक्षर बताता है. यह तभी होता है जब पैन किसी व्यक्ति का हो, न कि संस्था या ट्रस्ट का. अगर पैन किसी व्यक्ति का न होकर किसी एजेंसी, अथॉरिटी, ट्रस्ट या एचयूएफ आदि का हो तो उसका पांचवां अक्षर पैन होल्डर के नाम का पहला अक्षर बताता है. ALWPG5809L में पांचवां अक्षर G है जिससे पैन होल्डर के नाम का पहला अक्षर पता चलता है.

बाकी के अक्षर क्या बताते हैं

इसके बाद बाकी के चार अक्षर सिक्वेंशियल नंबर होते हैं जो 0001 से 9999 तक हो सकते हैं. जैसे कि ALWPG5809L.पैन का अंतिम अक्षर यानी कि 10वां अक्षर अल्फाबेटिक चेक डिजिट होता है. ALWPG5809L में अंतिम अक्षर L है. इन सभी अंकों और अक्षरों का मेल पैन को एक खास पहचान देता है. हर पैन अपने आप में यूनिक है और वह किसी दूसरे से मेल नहीं खाता. यह नंबर यूनिवर्सल भी है क्योंकि किसी भी संस्था या व्यक्ति का पैन नंबर एक ही बार बनता है. इसमें डुप्लिकेसी नहीं कर सकते. पैन गुम हो जाए तो पहले वाले नंबर पर ही दूसरा पैन ले सकते हैं लेकिन नंबर में अंतर नहीं होता.

पैन क्या है

PAN यह सुविधा देता है कि व्यक्ति जो भी ट्रांजेक्शन करता है, वह इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के साथ लिंक हो जाता है. यहां ट्रांजेक्शन का अर्थ है टैक्स पेमेंट, टीडीएस या टीसीएस क्रेडिट, इनकम रिटर्न, स्पेसीफाइड ट्रांजेक्शन आदि. पैन के जरिये इनकम टैक्स डिपार्टमेंट पैन होल्डर से जुड़ी निवेश, उधार या अन्य बिजनेस गतिविधियों के बारे में जानकारी इकट्ठी करता है. बैंकिंग सहित कई कार्यों में पैन नंबर जरूरी है. अब आधार को भी पैन से अपडेट करना जरूरी कर दिया गया है.

Friday, July 30, 2021

राजस्थान: अनिरुद्ध ने पिता विश्वेंद्र सिंह के खिलाफ खोला मोर्चा, कहा- पाला बदलना उनकी फितरत में शामिल

अब तक सिर्फ सोशल मीडिया पर अपने पिता पर निशाना साध रहे अनिरुद्ध सिंह ने कहा कि पाला बदलना उनके पिता विश्वेंद्र सिंह की फितरत में शामिल है. कभी वो लोकदल तो कभी चौटाला की पार्टी में जाते है ।

जयपुर: भरतपुर राजपरिवार के वारिस और राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार में मंत्री रहे विश्वेंद्र सिंह के बेटे अनिरुद्ध सिंह ने अब अपने पिता के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. सचिन पायलट को अपना आदर्श और मां दिव्या सिंह को अपना राजनीतिक गुरु बताने वाले अनिरुद्ध ने कहा कि ये दोनों ही उनका राजनीतिक भविष्य तय करेंगे.

अब तक सिर्फ सोशल मीडिया पर अपने पिता पर निशाना साध रहे अनिरुद्ध सिंह ने एबीपी न्यूज़ से बातचीत में कहा कि पाला बदलना उनके पिता विश्वेंद्र सिंह की फितरत में शामिल है. कभी वो लोकदल तो कभी चौटाला की पार्टी में जाते है. मंत्री बने सचिन पायलट खेमे से तो अब सीएम अशोक गहलोत के पक्ष में है. इससे पहले भी वो भैरों सिंह शेखावत और वसुंधरा राजे खेमे में भी रहे हैं.


कानूनी लड़ाई

अनिरुद्ध ने अपने पिता के खिलाफ पाला बदलने को लेकर ट्विटर पर भी कटाक्ष किए थे. अनिरुद्ध ने कहा कि वो और उनकी मां दिव्या सिंह भरतपुर राजपरिवार की संपत्ति को बचाने के लिए विश्वेंद्र सिंह के खिलाफ कानूनी लड़ाई भी लड़ रहे है. सचिन पायलट के दम पर ही राजस्थान में कांग्रेस को सत्ता मिलने की बात कहते हुए अनिरुद्ध ने कहा कि सचिन पायलट को दरकिनार करके कांग्रेस राजस्थान की सत्ता में वापसी नहीं कर सकती.


उन्होंने कहा कि अशोक गहलोत की अगुवाई वाली सरकार प्रदेश में उस तरह से काम नहीं कर पा रही जिस तरह से सरकार को काम करना चाहिए. उन्होंने कहा कि वो अपने पिता विश्वेंद्र सिंह से कई महीनों से संपर्क में नहीं हैं. उनके पिता भरतपुर राजपरिवार की संपत्ति को खुर्द बुर्द करना चाह रहे हैं और वो इसके खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं.

शेखावाटी के लौ’ह पुरुष कर्मठ नेता पदमश्री शीशराम ओला के ग्राम पंचायत से संसद तक के सफर की कहानी




आज मैं आपको शेखावाटी के लौ’ह पुरुष कर्मठ नेता पदमश्री स्वर्गीय श्री शीशराम जी ओला की जीवनी के बारे में बताऊंगा। ओला जी का जन्म 30 जुलाई 1927 को राजस्थान के झुंझुनू जिले के अरडावता गांव में एक किसान परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम चौधरी मंगलाराम जी ओला, माता का नाम श्रीमती सोनी देवी था। उन्होंने मैट्रिक तक शिक्षा प्राप्त की और उसके बाद उनका विवाह श्रीमती शिव देवी के साथ हुआ।

ओला जी के दो पुत्र और एक पुत्री है। उनका एक पुत्र श्री विजेंद्र ओला झुंझुनू से वर्तमान में विधायक हैं। ओला जी का राजनीतिक सफर भी नींव से शुरू हुआ। सन 1948 में वह अपने गांव अरडावता के सरपंच चुने गए । 1951 तक वहां के सरपंच रहे। 1957 और 1962 के राजस्थान विधानसभा के चुनावो में खेतड़ी विधानसभा क्षेत्र से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के विधायक रहे ।1967 के चुनाव में वह स्वतंत्र पार्टी के उम्मीदवार से चुनाव हार गए लेकिन 30 जून 1969 को हुए उपचुनाव में खेतड़ी क्षेत्र से चुनाव जीत गए और 1972 और 1977 में पिलानी तथा 1980, 1985, 1993 के विधानसभा चुनाव में झुंझुनू विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुने गए ।

18 फरवरी 1981 को राज्य सरकार मंत्रिमंडल में ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज तथा सैनिक कल्याण विभाग के प्रभारी राज्य मंत्री नियुक्त किए गए। 11 मार्च 1985 में वह सहकारिता एवं पर्यावरण और सैनिक कल्याण आदि विभागों के प्रभारी राज्यमंत्री बने। 16 अक्टूबर 1985 को उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया गया। 6 फरवरी 1988 को उन्हें राज्य सरकार में जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी भूजल तथा सैनिक कल्याण विभाग का दायित्व सौंपा गया। 12 जून 1989 को उनका विभाग बदल कर रावी व्यास नदियों के सिस्टम संबंधित कार्य ,आबकारी तथा सैनिक कल्याण विभाग दिया गया। वे 8 बार विधायक और 5 बार सांसद चुने गए थे।

बीसवीं सदी के थे मुसाफिर, हर मंजिल के वो वीर थे। ग्राम पंचायत से संसद का सफर, बाजी पलटने में माहिर थे।

शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने की एवज में श्री ओला जी को सन 1968 में पदम श्री से सम्मानित किया गया। श्री ओला ने महिला शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए ग्रामीण क्षेत्र अरडाता में बालिका प्राथमिक विद्यालय, बालिका सीनियर स्कूल, डिग्री कॉलेज , शिक्षण प्रशिक्षण महिला विद्यालय, b.Ed कॉलेज एवं बालिका छात्रावास का शुभारंभ कर उल्लेखनीय कार्य किया। महिला शिक्षा में झुंझुनू बहुत ही पिछड़ा हुआ था उस समय श्रीमान ओला जी ने 1952 में इंदिरा गांधी बाल निकेतन नाम से एक संस्था की स्थापना की जिसका शुभारंभ तीन बालिकाओं से शुरू हुआ। आज महिला शिक्षा में झुंझुनू प्रथम श्रेणी में आ खड़ा हुआ है।

दुनिया का है यही दस्तूर, महिलाएं सदा से ग्रहणी है। झुंझुनू की है बात निराली, यहां शिक्षा में अग्रणी हैं।

कुछ खास बाते: 

राजनीति में अपनी अलग पहचान रखने वाले श्री ओला जी की याददाश्त बहुत ही अद्भुत थी। एक बार जिससे मिल लेते थे 10 वर्ष बाद भी उसको भूल नहीं पाते अर्थात नाम और गांव तपाक से बता देते थे।

दिल्ली में अपने निवास स्थान पर झुंझुनू एवम् शेखावाटी क्षेत्र से आने वाले किसी भी व्यक्ति के लिए कोई रोक-टोक नहीं थी। कोई गेटकीपर नहीं था। आने वाला व्यक्ति सीधे बेडरूम में जाए और अपना काम बताएं। जब तक कार्य पूरा नहीं हो ,तब तक दिल्ली में रहना और खाना पीना सब कुछ ओला जी के निवास स्थान पर किया जाता था।

एक बार चुनावो के समय ओला जी चुनाव प्रचार हेतु अपने विधानसभा क्षेत्र में गए। किसी बात पर नाराज होने की वजह से एक गांव पूरा का पूरा उनसे विरुद्ध हो गया। और गांव वालों ने साफ-साफ कह दिया की हम आप को वोट नहीं देंगे। इस पर ओला जी ने उनकी बात में सहमति जताई और कहां कि मैं आपकी बात से सहमत हूं लेकिन एक काम करो मुझे केवल पूरे गांव से एक वोट दे दो। गांव वालों ने हां कह दी और कहां कि किस व्यक्ति का मत लेना चाहते हो। शीशराम जी ने गांव में एकमात्र अन्य जाति के व्यक्ति का नाम लेकर कहा कि मुझे इसका मत चाहिए। उस व्यक्ति ने अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल करते हुए मत देने से मना कर दिया और उसी एक बात ने पूरे गांव को शीशराम जी के पक्ष में कर दिया।

भारत चीन यु’द्ध के दौरान देश की अर्थव्यवस्था पर मंडराते खतरे को देखते हुए ओला जीने झुंझुनू जिले के सेठ साहूकारों से अथाह सोना इकट्ठा कर राष्ट्रीय कोष में जमा कराया था। श्रीमती इंदिरा गांधी ने उनके महिला शिक्षा के प्रति प्रेम, पर्यावरण के प्रति प्रेम और राष्ट्र के प्रति प्रेम को देखते हुए पदम श्री से सम्मानित किया था।

बात करते हैं 1980 के चुनावों से जब शीशराम ओला को हर कोई जानने लगा था…

1980 के लोकसभा चुनाव में झुंझुनू लोकसभा सीट से शीशराम ओला के पास कांग्रेस की टिकट थी। ओला के सामने थे जनता पार्टी के भीम सिंह और लोक दल से सुमित्रा सिंह। इस चुनाव में भीम सिंह ने जीत हासिल की, दो नंबर पर रहीं लोक दल से सुमित्रा सिंह और तीसरे नंबर पर रहे शीशराम ओला। कांग्रेस का टिकट होने के बावजूद वे लोकसभा चुनाव नहीं जीत सके। लेकिन 1980 में हुए विधानसभा चुनावों में उन्होंने जीत हासिल की। यह उनकी पहली जीत थी। उस समय केंद्र और राज्य दोनों में कांग्रेस की सरकार बनी।उधर 1985 के विधानसभा चुनावों में एक बार फिर उन्होंने जीत हासिल की।

फिर आए 1990 के विधानसभा चुनाव, तब तक शीशराम ओला 2 बार कांग्रेस की टिकट से जीत चुके थे तो इस बार भी उन्हें कांग्रेस की टिकट मिली लेकिन इस बार उन्हें हार का मुँह देखना पड़ा और मात देने वाले थे जनता दल के माहिर आज़ाद। जिन्होंने लगभग 10000 वोटों से शीशराम ओला को पीछे छोड़ दिया। लेकिन 1993 में एक बार फिर राजस्थान में विधानसभा चुनाव हुए जिसमें  शीशराम ओला ने जीत हासिल की।

फिर आये 1996  के लोकसभा चुनाव लेकिन इस बार शीशराम ओला ने अयूब खान को टिकट दिलवाने में मदद नहीं की बल्कि खुद दावेदारी पेश की। शीशराम ओला को लोकसभा चुनाव के लिए झुंझुनू सीट से टिकट नहीं मिला तो उन्होंने कांग्रेस का साथ छोड़ा और तिवारी कांग्रेस में शामिल हो गए। तिवारी कांग्रेस की टिकट से उन्होंने पहली बार लोकसभा चुनाव जीता।

चुनावों में जीत हासिल करने के लिए शीशराम ओला ने रामनाराण चौधरी, शिवनारायण गिल जैसे नेताओं का साथ लिया। केंद्र में जब-जब कांग्रेस कमजोर दिखी तब-तब ओला बाकि दलों से हाथ मिलाने में पीछे नहीं हटे लेकिन जब कांग्रेस का पलड़ा भारी दिखा तो कांग्रेस में वापस भी लौटे। 1996 और 1997 के लोकसभा चुनाव उन्होंने तिवारी कांग्रेस और इंदिरा कांग्रेस से जीते। 1996 से लेकर 2009 तक उन्होंने लगातार झुंझुनू लोकसभा सीट पर जीत हासिल की। वे लगातार पाँच बार संसद तक पहुँचे। केंद्र और राज्य दोनों के ही मंत्रीमंडल में उन्होंने अपनी जगह भी बनाई थी।

निधन: 

15 दिसंबर 2013 को गु़डगांव की मेदांता अस्पताल में आंत के संक्रमण के कारण ओला जी का नि’धन हो गया। 86 वर्ष के जीवन में शीशराम जी ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।

अपने क्षेत्र के प्रति समर्पित ओला जी ने पानी की समस्या हेतु जिले में नहर का पानी लाने के लिए बहुत प्रयास किए और ब्रॉड गेज हेतु किए गए प्रयास आज फलीभूत हो रहे हैं। यह उनके द्वारा किए गए प्रयासों का ही फल है।

Thursday, July 29, 2021

Rajasthan: अजय माकन ने पूछा सत्ता में वापसी कैसे हो, विधायकों ने कहा मुश्किल है; इन मंत्रियों की शिकायत की




Rajasthan वन टू वन संवाद के पहले दिन अजय माकन ने विधायकों से पूछा कि राज्य में कांग्रेस कैसे सत्ता में वापसी कर सकती है। इस पर विधायकों ने कहा कि मौजूदा हालात को देखते हुए सत्ता में वापसी मुश्किल है। विधायकों ने कई मंत्रियों की शिकायत माकन से की।


नरेन्द्र शर्मा। राजस्थान में अशोक गहलोत मंत्रिमंडल में फेरबदल फिर 10 से 15 दिन के लिए टल गया है। पहले जुलाई माह में मंत्रिमंडल में फेरबदल करने की तैयारी थी। इसको लेकर राज्य सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग ने नए बनने वाले मंत्रियों के लिए गाड़ियां और शासन सचिवालय में दफ्तर तैयार कर लिए थे, लेकिन अब अगस्त के दूसरे सप्ताह तक के लिए फेरबदल टाल दिया गया है। मंत्रिमंडल फेरबदल से पहले प्रदेश प्रभारी अजय माकन ने बुधवार से विधायकों के साथ वन टू वन संवाद शुरू किया। यह बृहस्पतिवार तक चलेगा। वन टू वन संवाद के पहले दिन माकन ने विधायकों से पूछा कि राज्य में कांग्रेस कैसे सत्ता में वापसी कर सकती है। इस पर ज्यादातर विधायकों ने कहा कि मौजूदा हालात को देखते हुए सत्ता में वापसी मुश्किल है। विधायकों ने कई मंत्रियों की शिकायत माकन से की।

इन मंत्रियों से विधायक नाराज

बुधवार को एक दर्जन जिलों के विधायकों से माकन ने वन टू वन संवाद किया। इस दौरान विधायकों ने शिक्षामंत्री गोविंद सिंह डोटासरा, स्वायत्त शासन मंत्री शांति धारीवाल, परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास, ऊर्जा मंत्री बीडी कल्ला और चिकित्सा मंत्री डॉ. रघु शर्मा की कार्यशैली पर नाराजगी जताई। धारीवाल पर अपने प्रभार वाले जिले की बैठक तक नहीं लेने की बात कही। विधायकों ने कल्ला व शर्मा के खिलाफ प्रोजेक्ट्स में गड़बड़ी, विधायकों के काम नहीं करने और विभागों में भ्रष्टाचार की बात कही। विधायक वेदप्रकाश सोलंकी ने कहा कि मेरे निर्वाचन क्षेत्र में विकास कार्य तो हुए हैं, लेकिन अनुसूचित जाति और जनजाति की सरकार में उपेक्षा हो रही है। माकन से मुलाकात के बाद खाचरियावास ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि सरकार की योजनाओं का फीडबैक लिया जा रहा है। कांग्रेस 2023 के चुनाव में वापस सत्ता में कैसे आए इस बात की चर्चा हो रही है।


सोनिया और राहुल गांधी को रिपोर्ट देंगे अजय माकन 

दो दिन तक विधायकों से वन टू वन संवाद कर माकन सरकार का हाल जानने में जुटे हैं। मंत्रियों के बारे में जानकारी जुटा रहे हैं। सत्ता और संगठन में होने वाले फेरबदल को लेकर राय ले रहे हैं। यहां से लौटकर माकन माकन दिल्ली में पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी व पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को अपनी रिपोर्ट सौंपेंगे। रिपोर्ट पर चर्चा के बाद ही मंत्रियों को हटाने के बारे में अधिकारिक निर्णय होगा। नए बनने वाले मंत्रियों के नाम भी रिपोर्ट के आधार पर ही तय होंगे। जानकारी के अनुसार, पार्टी नेतृत्व ने तय किया है कि अगस्त के दूसरे सप्ताह में मंत्रिमंडल में फेरबदल होगा। माकन विधायकों से मंत्रियों के कामकाज, सरकारी योजनाओं और भाजपा की वर्तमान स्थिति के बारे में जानकारी जुटा रहे हैं।


सचिन पायलट दिल्ली में सक्रिय

एक तरफ जहां अजय माकन दो दिन जयपुर में विधायकों से संवाद कर रहे हैं। वहीं, पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट दिल्ली में सक्रिय हैं। जयपुर आने से पहले मंगलवार को माकन ने पायलट के साथ बात की थी। सूत्रों के अनुसार, पायलट ने पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी और संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल से बात की है। उधर, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत विधायकों से मुलाकात में व्यस्त रहे।

Monday, July 19, 2021

40 साल की सफाई कर्मी ने किया कमाल, राजस्थान सिविल सेवा परीक्षा पास की





राजस्थान प्रशासनिक सेवा में शामिल होने के लिए परीक्षा में सफल होने वाले उम्मीदवारों में 40 वर्षीय आशा कंदारा भी शामिल हैं. लेकिन उनकी कहानी किसी और की तरह नहीं है. दो बच्चों की मां आशा जोधपुर नगर निगम में सफाई कर्मचारी के रूप में कार्यरत थीं. अब उन्हें राज्य प्रशासनिक सेवा में वरिष्ठ अधिकारी के रूप में नियुक्त किया जाएगा. आठ साल पहले आशा और उसके दो बच्चों के साथ उसके पति ने छोड़ दिया था. अपने माता-पिता के सहयोग से, उसने अपनी पढ़ाई जारी रखी, स्नातक की पढ़ाई पूरी की और फिर 2018 में प्रतियोगी परीक्षा में शामिल हुई. दो चरणों में परीक्षा देने के बाद आशा को इंतजार करना पड़ा क्योंकि महामारी के कारण परिणामों की घोषणा रोक दी गई थी. परिणाम पिछले सप्ताह घोषित किए गए हैं।

इस बीच, आशा जोधपुर नगर निगम में एक सफाई कर्मचारी की नौकरी करने लगी. क्योंकि अपने बच्चों की देखभाल करने की जिम्मेदारी उन्हीं की थी. इस कारण वह हाथ में झाड़ू लेकर जोधपुर शहर की सड़कों पर झाड़ू लगाने लगी. NDTV से बात करते हुए आशा ने कहा कि “ मेरा मानना ​​है कि कोई भी काम छोटा नहीं है. तैयारी करके 2019 में मैं मुख्य परीक्षा में बैठी. आज उसका परिणाम आपके सामने है. लेकिन परिणाम घोषित होने से पहले मुझे नगर निगम में नौकरी मिल गई थी. आशा ने कहा, "मेरा मानना है कि अगर लोग आप पर पत्थर फेंकते हैं, तो आपको उन्हें इकट्ठा करना चाहिए और एक पुल बनाना चाहिए. अगर मैं कर सकती हूं, तो कोई भी कर सकता है।”

उन्होंने कहा कि उनके पिता उनकी प्रेरणा हैं. उन्होंने NDTV से कहा, "मेरे पिता शिक्षित हैं और शिक्षा के मूल्य को समझते हैं. उन्होंने हमें पढ़ना और आगे बढ़ना सिखाया है. मैंने प्रशासनिक सेवाओं को चुना है क्योंकि मैं अपने जैसे अन्य कम विशेषाधिकार प्राप्त लोगों की मदद करना चाहती हूं. शिक्षा उत्तर है, शिक्षा अवसर का द्वार खोलती है." आशा के पिता राजेंद्र कंदरा ने अपनी वंचित पृष्ठभूमि के बावजूद अपनी पढ़ाई पूरी की. वह भारतीय खाद्य निगम में लेखाकार पद पर सेवानिवृत्त हुए हैं. उन्होंने कहा, "मैं पढ़ाई लैंम्प की रोशनी पर करता था. हम शिक्षा के महत्व को समझते हैं. जीवन एक संघर्ष है और संघर्ष ही जीवन है, लेकिन आज हमें बहुत गर्व है."


आरएएस 2018:आरएएस टॉपर मुक्ता राव से पूछा गया झुंझुनूं क्यों फेमस है, बिट्स कब बना था, उद्योग क्यों नहीं हैं?



आर.ए.एस. टाॅपर मुक्ता राव

  • आरएएस टॉपर मुक्ता से इंटरव्यू में शेखावाटी पर ज्यादा सवाल पूछे

आरएएस टाॅपर मुक्ता राव के लिए उनका इंटरव्यू भी बेहद खास रहा, क्योंकि उनसे ज्यादातर सवाल शेखावाटी से जुड़े हुए पूछे गए। जैसे कि उनसे पूछा गया कि झुंझुनूं क्यों फेमस है। इसका जवाब मुक्ता राव ने बहुत संक्षेप में केवल चार वाक्याें में दिया, लेकिन उनके जवाब से सामने आता है कि उन्होंने इसमें झुंझूनूं की पूरी तस्वीर रख दी। उन्होंने बताया कि सैनिकों की धरती, सामाजिक सौहार्द, बीट्स और फैस्को पेंटिंग के लिए झुंझुनूं प्रसिद्ध है। दैनिक भास्कर ने उनसे तमाम सवालाें पर बातचीत जाना कि उन्होंने इनके क्या जवाब दिए।

शेखावाटी के क्षेत्र में शिक्षा में किनका योगदान रहा, कुछ नाम बताइए ?

सवाल : झुंझुनूं क्यों फेमस है?

जवाब : झुंझुनूं सैनिकों की धरती है। सामाजिक सौहार्द के लिए प्रसिद्ध है। हमारे यहां बीट्स है। फैस्को पेंटिंग के लिए प्रसिद्ध है।

सवाल : बीआईटीएस कब बना था?
जवाब : जीडी बीड़ला सर ने बनाया था, वर्ष के लिए कंफर्म नहीं हूं।

सवाल : आजादी के बाद राजस्थान में कितनी तरक्की हुई?
जवाब : प्रगति तो बहुत हुई है। हम सब तरफ देख रहे हैं। लोगों की आय भी बढ़ी है। गरीबी भी कम हुई है। स्वास्थ्य सुविधाएं भी बढ़ी हैं। शिक्षा के क्षेत्र में तो अतुलनीय योगदान दिया है।

सवाल : किस किस ने योगदान दिया है। कुछ नाम बताइए?
जवाब : डालमिया जी हैं। बिड़ला जी हैं। बजाज साहब हैं। सोमानी जी हैं। जिन्होंने चिड़ावा में योगदान दिया। पीरामल हैं। सिंघानिया है।

सवाल : इस इलाके में इंडस्ट्री क्यों नही बढ़ रही?
जवाब : सर, इसका प्रमुख कारण तो पानी की कमी है। दूसरा एक माइंड सेट भी बन गया है कि पढ़ लिखकर नौकरी ही पानी है।

सवाल : क्या किया जाना चाहिए?
जवाब : मेरा सुझाव है कि जैसे मारवाड़ सेठों ने शिक्षा के लिए अच्छा काम किया है। हम उनसे इंडस्ट्री के लिए भी आग्रह कर सकते हैं।

सवाल : पांच राज्यों में चुनाव हुए, वहां मुख्यमंत्री कौन बने?
जवाब : पश्चिमी बंगाल में ममता बनर्जी, तमिलनाडू में एमके स्टॉलिन, केरल में पिनरई विजयन, पंडूचेरी में एन रंगास्वामी, असम के मुख्यमंत्री का नाम नहीं बता पाई।

सवाल : शेखावाटी में महिलाओं की क्या स्थिति है।?
जवाब : शिक्षा की स्थिति तो अच्छी है, लेकिन अब भी पूर्ण शिक्षा नहीं हुई है। महिलाओं की स्थिति भी बेहतर हुई है, लेकिन आत्मनिर्भर नहीं हुई हैं।

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