Friday, June 25, 2021

लेमन ग्रास उगाकर भी कर सकते हैं लाखों में आमदनी, जानिए कैसे उगाई जाती है लेमन ग्रास









     लेमन ग्रास (Lemon Grass) का नाम आपने शायद ही सुना हो। यदि नाम सुना भी होगा तो इसके बारे में जानकारी तो पक्का नहीं होगी आपको। लेकिन लेमन ग्रास खेती बाड़ी से जुड़ी बड़ी महत्त्वपूर्ण घास है। इसको उगा कर आज मोटी आमदनी की जा सकती है। इसको उगाने के लिए ये भी ज़रूरी नहीं है कि आप किसान ही हों, या आपके पास कई एकड़ ज़मीन हो।

     लेमन ग्रास कोई फ़सल नहीं है। इसका प्रयोग दवाई और अन्य चीजें बनाने में उपयोग किया जाता है। इसलिए इसकी क़ीमत भी अधिक होती है। आइए जानते हैं कि आख़िर कैसे की जाती है लेमन ग्रास की खेती कितनी होती है इसकी बाज़ार में कीमत








क्या होती है लेमन ग्रास? What is lemon grass?



आइए सबसे पहले हम आपको हम लेमन ग्रास (Lemon grass) के बारे में सामान्य जानकारी दें, ताकि आप लेमन ग्रास के महत्त्व को समझ सकें। लेमन ग्रास एक तरह की घास होती है। इससे निकलने वाले तेल से दवाई, डिटर्जेंट और कॉस्मेटिक बनाने के काम में लिया जाता है। इस घास की खेती के बारे में प्रधानमंत्री मोदी भी कई बार ज़िक्र कर चुके हैं। इससे आप इस घास के महत्त्व को समझ सकते हैं।


कब होती है इसकी बुआई

 


       लेमन ग्रास की बुआई का उपयुक्त समय फरवरी से जुलाई का समय सही माना जाता है। सर्दी में इसकी बुआई करने से हमेशा बचना चाहिए। साथ ही लेमन ग्रास को उगाने का ये भी फायदा है कि यदि आपने इसकी बुआई एक बार कर दी तो पुदीने और धनिए की तरह इसकी कटाई कई बार की जा सकती है। लेमन ग्रास की कटाई सात बार तक की जा सकती है। इसे बोने के 3-5 महीने बाद आप कटाई शुरू कर सकते हैं। अच्छी बात ये हैं कि इसकी खेती के लिए उर्वरक की आवश्यकता नहीं पड़ती। जिससे ख़र्चा भी बेहद कम आता है।




1500 रुपए किलो होती है बिक्री




      लेमन ग्रास से तेल निकलता है जिसे बाज़ार में बेचकर लाभ कमाया जा सकता है। जब इसके पौधे में से नींबू जैसी ख़ुशबू आने लगे तो समझो इसकी कटाई का समय आ गया है। इसकी कटाई एक बार में 3 से 5 इंच तक की गहराई तक की सकती है। साथ ही इससे निकलने वाले तेल की क़ीमत बाज़ार में 1500 रुपए किलो तक होती है। जो कि आम फसलों के मुकाबले बेहद मंहगी है।











होती है मोटी आमदनी




       यदि आपने छोटे पैमाने पर केवल एक बीघा ही लेमन ग्रास की खेती की हुई है, तो भी इससे मोटी आमदनी की जा सकती है। एक बीघा लेमन ग्रास की तीन बार कटाई करने पर 150 लीटर तक तेल निकाला जा सकता है। जिसको बाज़ार में बेचकर ख़ूब मुनाफा कमाया जा सकता है। यदि इसी खेती को बड़े पैमाने पर की जाए तो यही मुनाफा लाखों में भी पहुँचाया जा सकता है। यदि हम हर माह की बात करें तो इस खेती को उधोग के तौर पर अपनाने पर 12-15 लाख की आमदनी संभव है।

Saturday, June 19, 2021

नॉर्थ कोरिया में भुखमरी के हालात, 7 हजार रुपए में कॉफी का छोटा पैकेट, 3300 में एक किलो केला









     नॉर्थ कोरिया के सर्वोच्च नेता किम जोंग उन ने स्वीकार किया है कि उनका देश गंभीर खाद्य संकट से गुजर रहा है। सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक, हाल ही में एक बैठक में किम ने माना कि स्थिति बहुत खराब है और लगातार हालात बिगड़ रहे हैं। अनाज की कमी की वजह से नॉर्थ कोरिया में महंगाई चरम पर पहुंच गई है और खाने-पीने की चीजें आम लोगों के पहुंच से बाहर हो गई है। 


     राजधानी प्योंगयांग में ब्लैक टी के एक छोटे पैकेट की कीमत 70 डॉलर (करीब 5,167 रुपए), कॉफी पैकेट की कीमत 100 डॉलर (7,381 रुपए) और 1 किलो केले की कीमत 45 डॉलर (3300 रुपए) हो गई है। हाल ही में यूनाइडेट नेशंस के फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गेनाइजेशन (FAO) ने कहा था कि नॉर्थ कोरिया में 860,000 टन अनाज की कमी है। इसे इस तरह समझ सकते हैं कि देश में दो महीने की आपूर्ति के बराबर ही अनाज बचा है। 



     रिडियो फ्री एशिया की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि नॉर्थ कोरिया के किसानों को उर्वरक उत्पादन के लिए हर दिन 2 लीटर यूरीन का योगदान देने को कहा गया है। चिंताजनक हालात के बावजूद किम ने कहा है कि सीमाएं बंद रहेगी और महामारी के खिलाफ लागू नियम बरकरार रहेंगे। नॉर्थ कोरिया ने कोरोना महामारी को रोकने के लिए अपनी सीमाएं बंद कर दी हैं। 



    नॉर्थ कोरिया जनता का पेट भरने के लिए आयात और चीन से मिलने वाली मदद पर निर्भर है, क्योंकि देश का अपना उत्पादन पर्याप्त नहीं है। परमाणु कार्यक्रमों की वजह से नॉर्थ कोरिया पर कई अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध लगे हुए हैं। इस साल अप्रैल में किम ने आने वाले संकट को स्वीकार करते हुए अधिकारियों को 'आरडूअस मार्च' के लिए तैयार रहने को कहा है। 'आरडूअस मार्च' का इस्तेमाल नॉर्थ कोरिया में 1994 से 1998 के बीच हुए खाद्य संकट के लिए किया जाता है।


Thursday, June 17, 2021

रामविलास पासवान ने दो शादियां कीं, पहली पत्नी झोपड़ी में ही रहीं, चार बच्चे हैं, लेकिन लोग जानते सिर्फ चिराग को हैं।




New Delhi : आज जो हश्र चिराग पासवान का हुआ है उसके बाद रामविलास पासवान और उनके कृतित्व को भी याद करना लाजिमी हो गया है। आखिरकार रामविलास पासवान उन गिने चुने नेताओं में थे जो यदाकदा ही विवादों में आयें। हालांकि उनकी व्यक्तिगत जीवन ही विवादों से भरी रही पर आम लोगों में उन्होंने अपनी छवि ऐसी बना रखी थी, उनके विवादों की चर्चा कभी हुई भी या नहीं भी। 1969 में पहली बार विधायक बनने के बाद से राजनीति में 51 साल गुजारने के बाद साल 2020 में दुनिया को अलविदा कहनेवाले रामविलास पासवान की निजी जिंदगी के बारे में लोग कम ही जानते हैं। पासवान ने दो शादियां कीं थी। उनकी पहली पत्नी आज भी बिहार के खगड़िया के उनके पैतृक आवास में रहती हैं। वे जब राजनीति में नहीं आये थे तभी पहली शादी हो गई थी। उस शादी से उनकी दो बेटियां हैं, जबकि दूसरी पत्नी से एक बेटे चिराग पासवान व एक बेटी है।






       पहली शादी से उनकी बेटी आशा पासवान ने पिछले वर्ष उनके देहावसान के बाद आरोप भी लगाया था कि उनकी बीमारी के हालत में भी छोटी मम्मी ने षडयंत्र रचकर हमलोगों की मुलाकात उनसे नहीं होने दी। हमलोगों ने हवाई जहाज का टिकट भी ले लिया था लेकिन अंतिम समय में यह कहकर मना कर दिया कि अभी लॉकडाउन है, अभी यहां आने की कोई जरूरत नहीं है। आशा देवी कैमरे के सामने ही फूट फूट कर रोईं थीं।

      बहरहाल बात रामविलास पासवान की। उनको लेकर सोसाइटी में एक बड़ी युक्ति थी। और यह युक्ति थी कि वे पॉलिटिक्स के मौसम विज्ञानी हैं। वे जिसके साथ जाते हैं, उनकी सरकार बन जाती है। पिछले तीन दशक में शायद ही कोई प्रधानमंत्री हो जिसकी कैबिनेट में वे नहीं दिखे। जहां वे अटल बिहारी वाजपेयी के कैबिनेट में थे तो यूपीए की मनमोहन सिंह सरकार में भी बेहद महत्वपूर्ण महकमा संभाला। और फिर जब नरेंद्र मोदी की सरकार बनी तो वे कैबिनेट का चेहरा थे। पॉलिटकल सर्किल में तो कहा ये भी जाता था कि मौसम विज्ञानी भी कभी-कभी गलती कर बैठते हैं लेकिन रामविलास पासवान से ऐसी गलती बिलकुल नहीं हुई। पर लगता है इस पूर्वानुमान का शुरुआती ज्ञान भी वे चिराग पासवान को देना भूल गये या फिर ये एक ऐसा नैसर्गिक ज्ञान था जो वे चाह कर भी अपने बेटे में ट्रांसफर नहीं कर सके जबकि वे चाहते तो यही थे कि चिराग उनकी विरासत को संभालें।










       सबसे बड़ी बात यह रही कि वे किसी भी पार्टी के साथ रहे हों या फिर पार्टी में रहे हों। उनका पब्लिक कनेक्शन बदस्तूर बना रहा। वे किसी के साथ रहकर चुनाव लड़े हों, चुनाव में रिकार्ड मतों से जीतने का उनका रिकार्ड बनना तय ही था। चाहे वो जनता दल में रहे हों या फिर लोजपा में। चाहे वो कांग्रेस गठबंधन में रहे हों या फिर राजग गठबंधन में। वे अधिकांश समय केंद्र में ही मंत्री रहे और सांसद रहे। पर, इस दौरान भी उनका मन बिहार में ही रमा रहता था। वे बिहार से अलग कुछ भी सोच ही नहीं पाते थे। केंद्र में मंत्री बनने के बाद बिहार ने उनके दिल पर राज किया। योजना कोई भी हो, बिहार के ही हिस्से में आती थी।

      हालांकि इन सबके बीच में बिहार का नेतृत्व करने, बिहार का सीएम बनने की इच्छा उनकी कभी पूरी नहीं हो सकी। लालू के शासनकाल में लालू प्रसाद के साथ भी रहे और विरोध में भी लेकिन इस दौरान किसी को मौका ही नहीं मिला। और उसके बाद नीतीश कुमार का राज आ गया जो अब तक बरकरार है। उन्होंने सबसे अलग होकर अपनी पार्टी भी बनाई लेकिन उनकी पार्टी बिहार में कभी इस हैसियत में नहीं रही कि बिहार के राजकाज का नेतृत्व कर सके। उनको हमेशा केंद्र में मंत्रीपद से ही संतोष करना पड़ा।








       रामविलास पासवान का राजनीतिक सफर 1969 में तब शुरू हुआ था, जब वे सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर चुनाव जीतकर बिहार विधानसभा के सदस्य बने थे। खगड़िया में एक दलित परिवार में 5 जुलाई 1946 को जन्मे रामविलास पासवान ने इमरजेंसी का पूरा दौर जेल में गुजारा। 1977 की रिकॉर्ड जीत के बाद रामविलास पासवान फिर से 1980 और 1989 के लोकसभा चुनावों में जीते। इसके बाद विश्वनाथ प्रताप सिंह की सरकार में उन्हें पहली बार कैबिनेट मंत्री बनाया गया। इसके बाद विभिन्न सरकारों में पासवान ने रेल से लेकर दूरसंचार और कोयला मंत्रालय तक की जिम्मेदारी संभाली।









      पिछले तीन दशक में त्रिमूर्ति नेताओं का बोलबाला रहा। लालू प्रसाद, नीतीश कुमार और राम विलास पासवान इस त्रिमूर्ति का हिस्सा रहे। तीनों ने एक दूसरे के साथ मिलकर और अलग होकर भी काम किया। लेकिन व्यक्तिगत वैमनस्य कभी इनके बीच नहीं दिखा। जितनी जल्दी इनके बीच राजनैतिक झगड़ा होता उसी तेजी से राजनैतिक विवाद हल भी हो जाता।

Wednesday, June 16, 2021

राजस्थान सरकार ने कहा है कि शॉपिंग कॉम्पलेक्स/ मॉल सोमवार से शनिवार तक सुबह छह बजे से शाम 4 बजे तक खोले जा सकेंगे।




  राजस्थान सरकार ने कोरोना संक्रमितों की संख्या में गिरावट को देखते हुए राज्य में लागू पाबंदियों में और ढील देने का फैसला किया है. नई गाइडलाइन के मुताबिक, अब शनिवार की शाम 5 बजे से सोमवार की सुबह 5 बजे तक कर्फ्यू लागू रहेगा. साथ ही सोमवार से शुक्रवार तक हर दिन शाम पांज बजे से सुबह पांच बजे तक कर्फ्यू रहेगा.


   नई गाइडलाइन के मुताबिक, रेस्टोरेंट को पचास फ़ीसदी क्षमता के साथ शाम चार बजे तक खोले जाने की अनुमति दी गई है. गाइडलाइन में कहा गया है कि राज्य में सरकारी व निजी कार्यालय जहां कर्मिकों की संख्या 10 से कम है, वहां 100 फीसदी और जिन कार्यालयों में कर्मिकों की संख्या 10 से अधिक है, उनमें 50 प्रतिशत कर्मियों की उपस्थिति के साथ खोले जा सकेंगे.


   मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ट्वीट कर कहा, ''पूर्व में खोले जाने के लिए अनुमत समस्त बाजार/व्यवसायिक प्रतिष्ठान जो कि सोमवार से शुक्रवार तक अनुमत थे, उन बाजारों/व्यवसायिक प्रतिष्ठानों को सोमवार से शनिवार तक खोले जाने की अनुमति होगी।


  बयान में कहा गया है कि शॉपिंग कॉम्पलेक्स/ मॉल सोमवार से शनिवार तक सुबह छह बजे से शाम 4 बजे तक खोले जा सकेंगे.शहर में सिटी या मिनी बसों का संचालन सुबह पांच बजे से शाम पांच बजे तक होगा. यात्रियों को खड़े होकर यात्रा करने की अनुमति नहीं होगी. मेट्रो रेल का संचालन होगा।


  हालांकि राज्य सरकार ने किसी प्रकार के सार्वजनिक, सामाजिक, राजनीतिक, खेल-कूद, मनोरंजन, शैक्षणिक, सांस्कृतिक तथा धार्मिक समारोह एवं जुलूस, मेलों तथा हाट बाजार की अनुमति नहीं दी है।

Sunday, June 13, 2021

मुकुल रॉय ने गृह मंत्रालय से केंद्रीय सुरक्षा वापस लेने को कहा, कल ही बीजेपी छोड़ टीएमसी में हुए हैं शामिल

 


टीएमसी नेता मुकुल रॉय ने गृह मंत्रालय को चिट्ठी लिखकर कहा है कि उन्हें दी गई केंद्रीय सुरक्षा वापस ले ली जाए। ममत बनर्जी की सरकार ने मुकुल रॉय को राज्य स्तर की सुरक्षा दी है।


   बीजेपी छोड़ शुक्रवार को टीएमसी में शामिल हुए मुकुल रॉय ने गृह मंत्रालय को चिट्ठी लिखकर कहा है कि उन्हें दी गई केंद्रीय सुरक्षा वापस ले ली जाए. हालांकि अभी गृह मंत्रालय की ओर से इस चिट्ठी पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है. टीएमसी में आने के बाद बंगाल सरकार ने उन्हें राज्य स्तर की सुरक्षा दी है.


चार साल पहले टीएमसी छोड़कर बीजेपी में गए मुकुल रॉय ने बीते रोज़ टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी, पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और ममता के भतीजे अभिषेक बनर्जी और पार्टी के कई बड़े नेताओं की मौजूदगी में एक बार फिर तृणमूल कांग्रेस में वापसी कर ली. उनके साथ उनके बेटे शुभ्रांशु ने भी टीएमसी ज्वाइन की. अब पार्टी ज्वाईन करने के एक दिन बाद ही उन्होंने केंद्रीय सुरक्षा वापस करने को लेकर गृह मंत्रालय को चिट्ठी भेज दी है।



TMC में शामिल होने के बाद मुकुल रॉय ने क्या कहा



    टीएमसी में शामिल होने के बाद अपनी पहली प्रतिक्रिया देते हुए मुकुल रॉय ने कहा कि बंगाल आज फिर अपनी जगह पर लौटा है। बंगाल ममता बनर्जी का है और रहेगा। उन्होंने कहा कि मैं बीजेपी में नहीं रह पा रहा था, अभी बंगाल में जो स्थिति है, उस स्थिति में कोई बीजेपी में नहीं रहेगा।


   उन्होंने कहा कि मुझे भारतीय जनता पार्टी को छोड़कर अच्छा महसूस हो रहा है. साथ ही उन्होंने ममता बनर्जी को देश की सबसे बड़ी नेत्री बताया। मुकुल रॉय ने कहा कि वो सभी सवालों के जवाब में लिखित देंगे।


   पिछले कुछ दिनों से मुकुल रॉय ने बीजेपी से दूरी बनाई हुई थी। बता दें कि तृणमूल कांग्रेस के सांसद अभिषेक बनर्जी दो जून को मुकुल रॉय की बीमार पत्नी को देखने के लिए अस्पताल पहुंचे थे। इसके बाद ही इस बात की अटकलें तेज हो गयीं कि राजनीतिक समीकरण में बदलाव आ सकता है। रॉय बीजेपी में आने से पहले तृणमूल कांग्रेस में महासचिव थे. हाल ही में अभिषक बनर्जी को महासचिव बनाया गया है।

कूटनीतिक जीत: कुलभूषण जाधव के मित्र अरविंद बोले- दबाव की रणनीति काम आई, वह जल्द हमारे बीच होंगे





सार


पाकिस्तान की जेल में बंद भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारी कुलभूषण जाधव को न्याय का अवसर मिल सकता है। वह अब अपनी सजा के खिलाफ पाकिस्तान की  उच्च अदालतों में अपील कर सकेंगे। 

विस्तार


पाकिस्तान की जेल में बंद कुलभूषण जाधव के मित्र अरविंद सिंह ने अच्छी खबर दी है। उन्होंने कहा कि हमारी कूटनीतिक जीत हुई है। पाकिस्तान नेशनल असेंबली ने कानूनी प्रावधान किया है। इसके जरिए जाधव उन्हें सुनाई गई सजा को पाकिस्तान की उच्च अदालतों में चुनौती दे सकते हैं। 


      भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारी कुलभूषण जाधव पिछले कई सालों से पाकिस्तान की जेल में बंद हैं। उन्हें पाकिस्तान में विद्रोह भड़काने व जासूसी के आरोपों में फांसी की सजा सुनाई  गई है। जाधव को मुक्त कराने को लेकर भारत सरकार आईसीजे में केस लगा चुकी है। इस अंतरराष्ट्रीय अदालत ने फांसी पर रोक लगाते हुए पाकिस्तान सरकार को निर्देश दिया था कि वह जाधव को न्यायिक सुनवाई का अवसर व राजनयिक संपर्क का मौका दे। 


     जाधव के मित्र अरविंद सिंह ने मुंबई में कहा कि पाकिस्तान की नेशनल असेंबली ने एक विधेयक पारित किया है, इसके जरिए जाधव को अपनी सजा के खिलाफ वहां की उच्च अदालतों में अपील का मौका मिलेगा। यह भारत व देश की जनता की जीत है। 

     अरविंद सिंह ने उम्मीद जताई कि अब मामले में तेजी से प्रगति होगी और जाधव को हम जल्द हमारे बीच देख पाएंगे। सरकार जाधव को वापस लाने के लिए राजनयिक चैनलों के माध्यम से और अंतरराष्ट्रीय दबाव के जरिए प्रयास कर रही है। 

Saturday, June 12, 2021

सिर्फ 500 रुपये लेकर मुंबई आए थे धीरूभाई अंबानी, पिता की इन 5 बातों को अब तक नहीं भूले हैं मुकेश अंबानी




धीरूभाई अंबानी का असली नाम धीरजलाल हीरालाल अंबानी है जिनका जन्म गुजरात के चोरवाड में हुआ था।



      दुनिया के टॉप-10 अमीर उद्योगपतियों की सूची में शुमार मुकेश अंबानी अपने पिता धीरूभाई अंबानी से बेहद प्रेरित और प्रभावित रहे हैं।


           मुकेश अंबानी आज जिस मुकाम पर हैं, उसके लिए वो अपने परिवार के योगदान को हमेशा जिम्मेदार मानते हैं। कहा जाता है कि भले ही वो कितने भी व्यस्त क्यों न हों, बगैर अपनी मां के आशीर्वाद के वो घर से बाहर कदम नहीं रखते हैं। न ही रात को बिना नीता अंबानी से अपने दिन का हाल साझा किये वो बिस्तर पर जाते हैं। इतना ही नहीं, संडे को अक्सर वो फैमिली डे ही करार देते हैं। दुनिया के टॉप-10 अमीर उद्योगपतियों की सूची में शुमार मुकेश अंबानी अपने पिता धीरूभाई अंबानी से बेहद प्रेरित और प्रभावित रहे हैं।

       धीरूभाई अंबानी के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने ही भारत में कारोबार करने के तरीकों में बदलाव किया। गुजरात के चोरवाड में जन्मे धीरूभाई के पिता गांव के स्कूल में शिक्षक थे। लेकिन उन्होंने अपने दम पर इतनी बड़ी कामयाबी हासिल की। हाई स्कूल तक की पढ़ाई करने वाले धीरूभाई ने जीवन के सबक को इतने अच्छे से समझा कि स्वयं के बलबूते पर अपना औद्योगिक साम्राज्य हासिल किया।

         केवल 500 रुपये लेकर उन्होंने सपनों की मायानगरी मुंबई में प्रवेश किया था। वहीं, साल 2006 में फोर्ब्स के दुनिया के सबसे रईसों में धीरूभाई 138वें नंबर पर थे। उन्हीं के नक्शे कदम पर चलकर बड़े बेटे मुकेश अंबानी ने कारोबार को आगे बढ़ाया और अपना अलग नाम कमाया। करीब 81 अरब डॉलर की संपत्ति के मालिक मुकेश अंबानी आज भी अपने पिता की 5 बातों को याद रखते हैं।

        धीरूभाई हमेशा कहते थे कि एक अच्छे व्यापारी को ये पता होना चाहिए कि उसका लक्ष्य क्या है। वो कहते थे कि बगैर लक्ष्य तय किये कोई व्यक्ति कितनी भी मेहनत क्यों न कर ले, उसे सफलता प्राप्त नहीं होगी।

        एक इंटरव्यू में मुकेश ने बताया था कि धीरूभाई अंबानी बेहद प्रोफेशनल थे। कामकाज में वो रिश्तों को भी पार्टनरशिप का ही नाम देते थे। उनके पिता कहते थे कि बिजनेस पार्टनरशिप चलती है, न कि रिलेशनशिप। मुकेश अंबानी बताते हैं कि व्यापार में धीरूभाई बच्चों तक को पार्टनर्स मानते थे।


       धीरूभाई अंबानी का सोचना ये था कि व्यक्ति चाहे कोई भी कार्य करे, लेकिन उसमें सकारात्मक रवैया रखना अति आवश्यक है। उनके मुताबिक जो लोग हर परिस्थिति में अपने एटिट्यूड को पॉजिटिव रखते हैं, सफलता उन्हें ही मिलती है। साथ ही, उनके मुताबि नकारात्मकता से भरे लोग हर जगह होते हैं, ऐसे में उनसे दूरी बनाना ही बेहतर है।


     मुकेश अंबानी के पिता के अनुसार सफलता प्राप्त करना बाएं हाथ का खेल नहीं है। इसमें कभी हार मिलेगी तो कभी नाकामयाबी। लेकिन उससे निराश न होकर सीख लेनी चाहिए और हर मुसीबत का डटकर सामना करना चाहिए।


      बिजनेस में सफलता सिर्फ एक व्यक्ति से हासिल नहीं की जा सकती, कुछ ऐसा ही मानना था धीरूभाई अंबानी का। उनके अनुसार कामयाबी के लिए बेहतर टीम बेहद जरूरी है। किसी भी कंपनी को चलाने के लिए नेतृत्व क्षमता के साथ ही, अच्छी टीम भी महत्वपूर्ण है।




मोदी-शाह की बैठक का सामने आया एजेंडा, मॉनसून सत्र के पहले हो सकता है कैबिनेट का विस्तार, जानें किन नामों की है चर्चा






       संसद के मानसून सत्र के पहले केंद्रीय मंत्रिमंडल के विस्तार की आहट सुनाई देने लगी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने मंत्रियों के कामकाज की समीक्षा कर रहे हैं। सूत्रों के अनुसार, अभी तक लगभग दो दर्जन मंत्रियों के कामकाज की समीक्षा हो चुकी है। जल्दी ही सारे मंत्रालयों के काम काज की समीक्षा का काम पूरा कर लिया जाएगा। मोदी सरकार में अभी 60 मंत्री हैं, जबकि संविधान के अनुसार इनकी संख्या 79 तक हो सकती है। कई मंत्रियों के पास दो से तीन मंत्रालय हैं।


    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समय-समय पर विभिन्न मंत्रियों और उनके मंत्रालयों के कामकाज की समीक्षा करते रहते हैं। लेकिन इस बार की कवायद को भावी विस्तार से जोड़कर देखा जा रहा है। शुक्रवार शाम को भी प्रधानमंत्री ने भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और गृह मंत्री अमित शाह के साथ मिलकर कुछ मंत्रालयों के कामकाज की समीक्षा की है।


      एक साल से करोना के चलते मंत्रिमंडल विस्तार की स्थितियां नहीं बन पाई थीं, लेकिन अब टीम को बढ़ाने की तैयारी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की टीम में अभी उनके अलावा 21 कैबिनेट और 9 राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार और 29 राज्य मंत्री हैं। कुछ मंत्रियों के पास कई मंत्रालय होने से मंत्रि परिषद के साथियों की कुल संख्या 54 है।


           जिन लोगों को मंत्रिपरिषद के भावी फेरबदल और विस्तार में शामिल किया जा सकता है, उनमें असम के पूर्व मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल, बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी, सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया, बैजयंत पांडा के नाम चर्चा में हैं। इस बार के विस्तार में जनता दल यू को भी शामिल करने की स्थितियां बन सकती हैं। मोदी सरकार में अभी भाजपा के सहयोगी दलों से एक भी कैबिनेट मंत्री नहीं है। सहयोगी दलों में अकेले रिपब्लिकन पार्टी के रामदास आठवले राज्य मंत्री हैं। ऐसे में कुछ और सहयोगी दलों को भी विस्तार में जगह दी जा सकती है। 


         इस महीने के आखिर में या अगले महीने की शुरुआत में मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का पहला विस्तार किया जा सकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बीते कुछ दिनों से भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा और गृह मंत्री अमित शाह के साथ विभिन्न मंत्रालयों के कामकाज की समीक्षा में जुटे हुए हैं। आमतौर पर मंत्रिमंडल फेरबदल और विस्तार के पहले इस तरह की कवायद की जाती है।


एक बार फिर दिग्विजयी का बयान : कांग्रेस सत्ता में लौटी तो कश्मीर में आर्टिकल 370 का फैसला पलटेगा, क्लब हाउस चैट पर पाकिस्तानी पत्रकार के सवाल पर दिग्विजय सिंह का बड़ा बयान





    क्लब हाउस चैट का एक ऑडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। इस वीडियो में कांग्रेस नेता और राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल-370 हटाए जाने के फैसले पर बोल रहे हैं। उनके कथित ऑडियो में वह बोल रहे हैं कि यहां से जब धारा-370 हटाई गई, तब लोकतंत्रिक मूल्यों का पालन नहीं किया गया। इस दौरान न ही इंसानियत का तकाजा रखा गया और इसमें कश्मीरियत भी नहीं थी। सभी को कालकोठरी में बंद कर दिया गया। अगर कांग्रेस सरकार सत्ता में आई, तो हम इस फैसले पर फिर से विचार करेंगे और धारा-370 लागू करेंगे।


पाकिस्तानी जर्नलिस्ट ने पूछा था सवाल


    दिग्विजय देश-विदेश के कुछ पत्रकारों से वर्चुअली बात कर रहे थे। इस दौरान शाहजेब जिल्लानी धारा-370 से जुड़ा एक सवाल कांग्रेस महासचिव से पूछा। दावा किया जा रहा है कि जिल्लानी एक पाकिस्तानी पत्रकार हैं। जिल्लानी ने पूछा था कि जब मौजूदा सरकार जाती है और भारत को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बाद दूसरा प्रधानमंत्री मिल जाता है, तो कश्मीर पर आगे का रास्ता क्या होगा? मुझे पता है कि अभी भारत में जो हो रहा है, उसके कारण यह हाशिये पर है। हालांकि, यह एक ऐसा मुद्दा है जो दोनों देशों के बीच इतने लंबे समय से मौजूद है।


    ट्विटर प्रोफाइल के मुताबिक, जिल्लानी पूर्व BBC संवाददाता हैं और जर्मनी में रहते हैं। वे पाकिस्तान, बेरूत, वॉशिंगटन और लंदन में काम कर चुके हैं। इससे पहले वह DW न्यूज से भी जुड़े रह चुके हैं। हालांकि, दिग्विजय सिंह को अपना परिचय देते हुए उन्होंने कहा था कि वह इस वक्त DW न्यूज के लिए काम कर रहे हैं और पाकिस्तान के सिंध में उनका जन्म हुआ था।




धार्मिक कट्टरवाद समाज के लिए खतरनाक - दिग्विजय


       जिल्लानी के सवालों के जवाब में दिग्विजय ने कहा, 'मैं मानता हूं कि जो चीज समाज के लिए खतरनाक है, वह है धार्मिक कट्टरवाद। चाहे वह हिंदू, मुस्लिम, ईसाई, सिख किसी से भी जुड़ी हो। धार्मिक कट्टरवाद नफरत की ओर ले जाता है, और नफरत से हिंसा होती है।'

   उन्होंने कहा, 'हर समाज और धार्मिक समूह को यह समझना होगा कि प्रत्येक व्यक्ति को अपनी परंपरा और विश्वास का पालन करने का अधिकार है। किसी को भी अपनी आस्था, भावनाएं या धर्म किसी पर थोपने का अधिकार नहीं है।'

 


फैसले पर फिर से विचार करना होगा : दिग्विजय



      कांग्रेस नेता ने कहा कि मुस्लिम बहुल राज्य में एक हिंदू राजा था। दोनों ने साथ काम किया। दरअसल, कश्मीर में सरकारी सेवाओं में कश्मीरी पंडितों को आरक्षण दिया गया था। इसलिए अनुच्छेद-370 को रद्द करना और जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा कम करना अत्यंत दुखद निर्णय है। हमें निश्चित रूप से इस मुद्दे पर फिर से विचार करना होगा।


अगस्त 2019 में जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाई गई थी



    केंद्र सरकार ने 5 अगस्त 2019 में जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले आर्टिकल-370 को खत्म कर दिया था। सरकार ने जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को अलग केंद्र शासित प्रदेश बना दिया था। जम्मू-कश्मीर में 20 और लद्दाख में दो जिले लेह और करगिल शामिल किए गए।

Walking Steps : क्या दिन में 10 हजार कदम चलना काफी होता है ? जानें आपके लिए क्या सही है



Walking Steps कोरोना वायरस महामारी की वजह से हमारा व्यायाम छूट गया है जिम बंद हैं और अब पार्क भी बंद हैं। हालांकि इसके बावजूद आप घर के आसपास या घर के अंदर ही कुछ देर चल सकते हैं।


         रोज़ाना या कम से कम हफ्ते में 4 दिन व्यायाम करना हमारे लिए कितना फायदेमंद हो सकता है, यह हम सब जानते हैं। हम में से ज्ययादातर लोग अपने व्यस्त जीवन से भी वर्कआउट के लिए कुछ समय जरूर निकाल लेते हैं। कोरोना वायरस महामारी की वजह से हमारा व्यायाम छूट गया है, जिम बंद हैं और अब पार्क भी बंद हैं। हालांकि, इसके बावजूद आप घर के आसपास या घर के अंदर ही चल सकते हैं। सिर्फ कुछ चल लेने से ही आपके शरीर को कई तरह से फायदा पहुंच सकता है।

चलना एक बेहद आसान एक्सरसाइज है और आपको कई तरह से फायदे पहुंचा सकता है। यही वजह है कि हेल्थ एक्सपर्ट्स भी लोगों को रोजाना कम से कम 10 हजार चलने की सलाह देते हैं।


चलने के फायदे


चलने के लिए आपको किसी खास ट्रेनिंग की जरूरत नहीं होती। थोड़ी तैयारी और कुछ एहतियात बरतें, तो इससे बेहतर ऐरोबिक एक्सरसाइज कोई है ही नहीं। न तो इसमें कोई पैसा खर्च होता है, और आप इसे किसी भी समय कर सकते हैं।

       अगर रोज़ाना कुछ समय चला जाए तो आप इन आम बीमारियों के जोखिम को कम कर सकते हैं :

• दिल की बीमारी

मोटापा

• डायबिटीज़

• हाई ब्लड प्रेशर

• अवसाद


कितना समय चलना चाहिए ?


       व्यक्ति को हफ्ते में 150 मिनट चलना चाहिए, जिसमें मध्यम इंटेनसिटी की एक्सरसाइज़ जैसे की ब्रिस्क वॉकिंग शामिल है। धीरे-धीरे कर अपना समय बढ़ाते रहें। आप हफ्ते में 5 दिन 30 मिनट के लिए चलें, या फिर दिन में कई बार 10 मिनट के लिए चलें। वहीं, हारवर्ड न्यूज़लेटर के हिसाब से सेहतमंद रहने के लिए हर व्यक्ति को रोज़ाना 30-45 मिनट वॉक करना चाहिए।


कितना तेज चलना चाहिए ?


एक मिनट में 80 कदम, एक इत्मीनान वाली गति मानी जाती है, वहीं, एक मिनट में 100 कदम, मध्यम गति और एक मिनट में 120 कदम, तेज़ गति होती है। अगर आप तेज़ चलने से जल्दी थक जाते हैं, तो ऐसे में ब्रिस्क वॉक सबसे अच्छा है।


       बैठे रहना धूम्रपान करने जैसा ही है। पूरे दिन अपने डेस्क पर बैठे रहने का मतलब है, की बीमारियों को आमंत्रित करना। इसलिए, अगर आपका दिन में ज्यादा बैठने का काम है, तो रोज़ाना मध्यम-तीव्रता से चलें, जिससे कई बीमारियों को रोकने में मदद मिलेगी।


चलने के बहाने ढूंढ रहे हैं ?


अपने पालतू कुत्ते को घुमाने के लिए ले जाएं। अगर आपके पास नहीं      है, तो किसी दोस्त के डॉग को घुमा लें।

-  चलते वक्त गाने सुनें, इससे आप उस समय को एंजॉय करेंगे।

-  किसी साथी को भी चुन लें, जैसे परिवार में कोई व्यक्ति या फिर         दोस्त।

-  फोन पर बात करते समय चलें, इससे आपके दो काम हो जाएंगे।

Friday, June 11, 2021

बंगाल: BJP सांसद जयंत कुमार रॉय पर हमला, TMC के कार्यकर्ताओं पर आरोप




कोलकाता, जून 11: पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनावों के बाद शुरू हुई राजनीतिक हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही है। शुक्रवार को एक बार फिर से बीजेपी सांसद को निशाना बनाकर कथित तौर पर उनके ऊपर हमला हुआ। जलपाईगुड़ी से सांसद डॉ. जयंत कुमार रॉय पर सिलीगुड़ी में शुक्रवार की शाम हमला हो गया। बताया जा रहा है कि, हमले में जयंत कुमार को गंभीर चोटें आई हैं। इस घटना को लेकर सांसद डॉक्टर जयंत कुमार रॉय राज्य सरकार पर निशाना साधा है।


जलपाईगुड़ी से सांसद डॉ. जयंत कुमार रॉय ने कहा कि आज शाम करीब पांच बजे मुझ पर तृणमूल कांग्रेस के गुंडों ने हमला किया। उन्होंने बांस के डंडों से मेरे सिर पर और हाथ पर मारा। मेरे साथ मौजूद कुछ अन्य लोगों पर भी हमला किया गया। बंगाल में कोई नियम-कानून नहीं है। बताया जा रहा है कि, जयंत उस वक्त राजनीतिक हिंसा के बाद घर छोड़कर भागे बीजेपी कार्यकर्ताओं को घर वापस जाने के लिए कहने गए थे। जिस वक्त उनकी कार पर हमला हुआ वह अपनी कार से राहत कैंप का दौरा कर वापस घर लौट रहे थे।

हमले के बाद डॉ. रॉय को सिलीगुड़ी के नॉर्थ बंगाल मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। अस्पताल के सर्जरी विभाग के प्रमुख डॉ. एएन सरकार ने कहा कि उनके (डॉ. जयंत कुमार रॉय) सिर पर हमला हुआ है और उनके पेट में भी चोट आई है। डॉ. सरकार ने बताया कि अब उनकी हालत स्थित है और उनके शरीर पर कोई गंभीर चोट नहीं दिख रही है। इस हमले में दो अन्य बीजेपी कार्यकर्ता भी घायल हो गए। दो अन्य लोगों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

तृणमूल कांग्रेस जलपाईगुड़ी जिला अध्यक्ष कृष्ण कुमार कल्याणी ने बीजेपी सांसद पर तृणमूल के हमले के सभी आरोपों को खारिज कर दिया और कहा कि यह बीजेपी की गुटबाजी का नतीजा है। वहीं दूसरी ओर आज बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मुकुल रॉय आज फिर से टीएमसी में शामिल हो गए।


Thursday, June 10, 2021

आज ग्रहण के दौरान आग के छल्ले की तरह दिखेगा सूरज, भारत में दो जगहों पर असर

Monday, June 7, 2021

तीन भारतीय दिग्गज क्रिकेटर जिनके बेटे भी भारतीय टीम के लिए जल्द कर सकते हैं डेब्यू





 भारत को कई ऐसे होनहार खिलाड़ी मिले हैं, जिन्होंने रिकॉर्ड की मामले में ऐसी महारथ हासिल की है, जिसे तोड़ पाना किसी भी विदेशी खिलाड़ी के लिए मुश्किल है। हालांकि इनमें से कुछ खिलाड़ी ऐसे भी हैं जो क्रिकेट जगत अलविदा कह चुके हैं, लेकिन उनके बच्चे डेब्यू करने के तैयार हैं।



इन तीन दिग्गजों के बेटे टीम इंडिया का बन सकते हैं हिस्सा



    भारतीय क्रिकेट टीम के  सचिन तेंदुलकर ने अपने कारनामों से दुनिया में एक अलग पहचान बनाई है। उन्होंने वो मुकाम हासिल किए हैं, जिसे पाने के लिए संघर्ष के नए पैमाने नापने पड़ते हैं। आज इस रिपोर्ट में हम टीम इंडिया के तीन ऐसे दिग्गज खिलाड़ियों की बात करेंगे, जिनके बच्चे आने वाले समय में भारतीय टीम के लिए डेब्यू कर सकते है।


सचिन तेंदुलकर के बेटे अर्जुन तेंदुलकर-





    इस लिस्ट में पहले बात करेंगे टीम इंडिया के पूर्व खिलाड़ी सचिन के बेटे अर्जुन तेंदुलकर की, जिनकी गेंदबाजी कमाल की है। क्रिकेट की दुनिया में सचिन ने जो कारनामें किए हैं, इसके बारे में देश ही नहीं पूरी दुनिया जानती है। उन्होंने ऐसे रिकॉर्ड बना डाले हैं, जिसे तोड़ पाना असंभव सा लगता है। ऐसे में उनके बेटे अर्जुन तेंदुलकर भी क्रिकेट में अपना भाग्य आजमाने के लिए पूरी तैयारी कर रहे हैं।

   सचिन के बेटे अर्जुन तेंदुलकर बीते कुछ सालों से मुंबई क्रिकेट के साथ ही भारतीय अंडर-19 क्रिकेट टीम में भी अपना दमखम दिखा चुके हैं। जिस तरीके से वो लगातार अपने आपको घरेलू फॉर्मेट के क्रिकेट में पेश कर रहे हैं, उससे जाहिर है कि आने वाले समय में वो टीम इंडिया के लिए खेलते हुए नजर आ सकते हैं।


राहुल द्रविड़ के बेटे समित द्रविड़ -




     भारतीय क्रिकेट टीम में महान खिलाड़ियों की लिस्ट में शामिल रहे मशहूर पूर्व दिग्गज खिलाड़ी राहुल द्रविड़ किसी के पहचान के मोहताज नहीं हैं । हर फॉर्मेट में उनका एक अलग ही जलवा रहा है। उन्होंने टीम इंडिया का प्रतिनिधित्व करने के लिए अपने समय में काफी मेहनत की है। टेस्ट प्रारूप के लिए वो अच्छे खिलाड़ी माने जाते रहे हैं।

    खास बात तो ये है कि, राहुल द्रविड़ के बेटे समित द्रविड़ अपने खेल से लगातार फैंस और दिग्गजों को आकर्षित कर रहे हैं। जिस तरीके से समित की क्रिकेट में परफॉर्मेंस है उसे देखकर ये कहना गलत नहीं होगा कि वो आगामी समय में भारत के लिए खेल सकते हैं।



संजय बांगड़ के बेटे आर्यन बांगड़ -




    भारतीय क्रिकेट टीम का हिस्सा रहे संजय बांगड़ एक खिलाड़ी के रूप में ज्यादा समय तक खेल नहीं सके लेकिन पूर्व ऑलराउंडर खिलाड़ी संजय बांगड़ का क्रिकेट में कोच के तौर पर अच्छा एक्सपीरियंस रहा है। दरअसल संजय बांगड़ की बात करें तो उन्होंने टीम इंडिया के लिए कुछ ही टेस्ट और वनडे मैच खेले हैं. लेकिन बल्लेबाजी कोच के तौर पर उन्होंने अपनी टीम में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

   संजय बांगड़ के बेटे आर्यन बांगड़ के बारे में जाने तो कुछ समय पहले ही कूच बिहार ट्रॉफी के लिए उन्होंने शानदार प्रदर्शन किया है । इसके अलावा इस ऑलराउंडर खिलाड़ी आर्यन बांगड़ को काउंटी क्रिकेट की जूनियर टीम में लिसेस्टरशायर के साथ करार किया गया है । ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि, आने वाले वक्त में वो भी टीम इंडिया के लिए खेलते हुए नजर आ सकते हैं।


Friday, June 4, 2021

निरीक्षण के समय सहायक BDO का सोते हुए Video Viral, बोले- BP का मरीज हूं, थक गया था






गुरुवार को वायरल हुए वीडियो में वे 12 बजकर 50 मिनट पर बागोरा के राजीव गांधी सेवा केन्द्र में एक चारपाई पर सोते हुए दिखाई दे रहे हैं।



Jhunjhunu: जिले की ग्राम पंचायत बागोरा के भवन में चारपाई पर सोते हुए एक सहायक विकास अधिकारी का वीडियो वायरल हो रहा है. यह वीडियो गुरुवार का बताया जा रहा है. वीडियो वायरल होते ही अधिकारी को कारण बताओ नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया है।

दरअसल, पंचायत समिति उदयपुरवाटी में कार्यरत सहायक विकास अधिकारी दयानन्द गढ़वाल को गुरुवार को ग्राम पंचायत बागोरा का निरीक्षण करने के लिए भेजा गया था. गुरुवार को वायरल हुए वीडियो में वे 12 बजकर 50 मिनट पर बागोरा के राजीव गांधी सेवा केन्द्र में एक चारपाई पर सोते हुए दिखाई दे रहे हैं।

वीडियो वायरल होते ही इसकी सूचना उच्चाधिकारियों तक पहुंची. पंचायत समिति उदयपुरवाटी के विकास अधिकारी बाबूलाल रैगर ने बताया कि सहायक विकास अधिकारी दयानन्द गढ़वाल को निरीक्षण करने के लिए भेजा गया था. विकास अधिकारी रैगर ने बागोरा के ग्राम विकास अधिकारी विक्रम सिंह और कनिष्ठ सहायक ममता मीणा को भी अनुपस्थित रहने पर नोटिस जारी किया है।



दयानंद गढ़वाल ने भी दी सफाई


इधर, दयानंद गढ़वाल ने अपनी सफाई में बताया है कि वे बीपी शुगर के मरीज हैं. वे कल निरीक्षण के लिए सुबह साढ़े नौ बजे पंचायत पहुंच गए थे. करीब 12:30 बजे तक उन्होंने काम किया, जिसकी रिपोर्ट भी दोपहर को तीन बजे बीडीओ को पेश कर दी. 12:30 बजे काम निपटाने के बाद जब उन्होंने दवाई ली तो वे थोड़ी देर सुस्ताने लग गए।


कच्चे आम को घर पर इस तरह पकाएं, लगेगा बाज़ार से भी अधिक स्वादिष्ट





गर्मियों का मौसम यानि आम का सीजन। जैसे ही गर्मियों का मौसम आता है देश भर में अलग-अलग किस्म के आम बिकने लगते हैं। कई लोग आम के इतने बड़े शौक़ीन होते हैं कि आसपास में आम नहीं मिलने पर कई किलोमीटर दूर चले जाते हैं आम खरीदने के लिए। लेकिन, उनको नहीं मालूम की कार्बाइड के माध्यम से पकाए हुए आम ख़रीद रहे हैं। केमिकल द्वारा पकाए हुए आम का सेवन करने से कई बार तबीयत भी ख़राब होने लगती है। ऐसे में ज़रूरी हो जाता है कि पेड़ पर लगे हुए पके आम का सेवन करें या फिर घर पर ही कच्चे आम को पकाएं। 



    आम को केमिकल रहित पकाने की विधियां : 



चावल का करें इस्तेमाल -






 चावल के इस्तेमाल से आप आम को आसानी से पका सकते हैं। चावल में पके आम अन्य पके आम से यक़ीनन टेस्ट में बेहतर होगा। इसके लिए आप घर में मौजूद चावल के डिब्बे में लगभग 1-2 फीट गहरा दबा दें। अब आप इसे कम से कम चार से पांच दिनों के लिए वैसे ही छोड़ दीजिए। पांच दिन बाद आप देखेंगे कि आम पूरी तरीके से पाक गया है। ऐसा ही अन्य किसी भी चीज को पकाने के लिए  चावल का इस्तेमाल कर सकते हैं।



पेपर का करें उपयोग -





आप जिस पेपर को बेकार समझ कर कबाड़ी को बेच देते हैं, वो पेपर आम पकाने के लिए एक बेस्ट घरेलू उपाय है।  इसके लिए आप तीन से चार पेपर में आम को लपेटकर किसी कोने में रख दें और ऊपर से किसी बर्तन या बोरी से ढक दीजिए। लगभग तीन से चार दिनों में आम आसानी से पाक जाता है। इस तरह पकाने के बाद यक़ीनन आप बाज़ार के पके आम को भूल जायेंगे।



घास का करें इस्तेमाल -





गार्डन में मौजूद अतिरिक्त घास को गर्मियों में फेंकने की जगह अब आप आम को पकाने के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके लिए आप किसी प्लास्टिक में घास को भर लीजिए और उस घास में आम को रखकर किसी ठंडी जगह रख दीजिए। अन्य टिप्स के मुकाबले घास द्वारा आम लगभग एक से दो दिन में भी पक जाते हैं, वो भी बिना किसी केमिकल के इस्तेमाल के ।


सूती कपड़े में रखें -






सूती कपड़े में रखने से भी कच्चे आम आसानी से पाक जाते हैं। किसी साफ सूती के कपड़े में आम को लपेटकर किचन अलमारी या फिर स्टोर रूम में आम को दो से तीन दिनों के लिए रख दीजिए। तीन दिन बाद आप देखेंगे कि आम आसानी से पाक गया है। इसी तरह आप किसी अन्य फल को भी पकाने के लिए इस विधी का इस्तेमाल कर सकते हैं। कच्चा केला पकाने के लिए भी कई लोग इन विधि का सहारा लेते हैं।


आंवला का अधिक सेवन कर सकता है आपको बीमार, हो सकते हैं कई खतरनाक रोग

औषधिय गुणों से भरपूर आंवला का सेवन करना सेहत के लिए फायदेमंद है, लेकिन कुछ लोगों के लिए यह खतरनाक साबित हो सकता है।








    
    आवंला को सौ रोगों की एक दवा माना जाता है। आंवला में  भरपूर मात्रा में विटामिन सी, विटामिन एबी, पोटैश‍ियम, कैल्शियम, मैग्‍नीशियम, आयरन, कार्बोहाइड्रेट, फाइबर, डाययूरेटिक एसिड जैसे गुण पाए जाते हैं। जो आपके डायबिटीज कंट्रोल करने के साथ-साथ इम्यूनिटी बूस्ट करने और  दिल को हेल्दी रखने में मदद करता है। लेकिन अधिक मात्रा में आंवला का सेवन भी कई बार खतरनाक साबित हो सकता है। 


आंवला का सेवन आप कई तरह से कर सकते हैं। आप आंवला को कच्चा खाने के साथ-साथ जूस, पाउडर, मुरब्बा, कैंडी आदि के रूप में भी कर सकते हैं। आंवला का सेवन एक मात्रा में ही करना चाहिए। आज के समय में लोग आंवला का सेवन विभिन्न तरीके से करते हैं। लेकिन कई बार दूसरी चीजों के साथ इसे मिलाकर खाना हानिकारक हो सकता है। 


आंवला खाने से होने वाले नुकसान



एसिडिटी की समस्या



     जिन लोगों को एसिडिटी की समस्या है या फिर जिन्हें पित्त दोष की समस्या हो वह आंवला का सेवन थोड़ा सोच-समझकर करे, क्योंकि आंवला एसिडिक होता है। जिसके कारण यह पेट में गैस बना सकता है। 


 ब्लीडिंग डिसऑर्डर


आंवले से कुछ लोगों में रक्तस्राव या चोट लगने का खतरा बढ़ सकता है। यदि आपको ब्लिडिंग डिसऑर्डर की समस्या है तो इसका सेवन थोड़ा सावधानी के साथ करे। 



डायबिटीज



आंवला आमतौर पर ब्लड शुगर के लेवल को कम करने में मदद करता है। अगर आप दवाओं का सेवन कर रहे हैं तो इसका सेवन थोड़ा कम करे। 






लिवर डैमेज



आंवले को अदरक, टिनोस्पोरा कॉर्डिफोलिया और  लोबान के साथ लेने से लिवर की कार्यक्षमता खराब हो सकती है। इसलिए अगर आपको लिवर संबंधी बीमारी हैं तो इसका ऐसे सेवन ना करे। 


पाचन तंत्र पर डाले बुरा असर



आंवले के ज्यादा सेवन से आपके लिवर में SGPT (serum glutamic pyruvic transaminase) की मात्रा बढ़ जाती है। इसकी वजह से आपक पाचन  तंत्र पर बुरा असर पड़ता है। 


सर्जरी


सर्जरी के दौरान और बाद में आंवला का सेवन करने से रक्तस्राव का खतरा बढ़ सकता है। इसलिए सर्जरी से कम से कम 2 सप्ताह पहले आंवले का सेवन बंद कर दें।





कब्ज


   यह कब्ज के लिए एक प्राकृतिक उपचार है। आंवला में भरपूर मात्रा में फाइबर होता है। हालांकि, यदि आप अधिक मात्रा में आंवले का सेवन करते हैं तो यह स्टूल को सख्त कर सकता है। अगर आप पानी का सेवन कम कर देते हैं तो स्थिति और खराब हो जाती है। इसलिए, कब्ज को रोकने के लिए फल को रस या सूखे आंवला पाउडर के रूप में पर्याप्त मात्रा में पानी के साथ लें।


एलर्जी


   कुछ लोगों को आंवला से एलर्जी हो सकती है। एक व्यक्ति जिसे इस फल से एलर्जी है। जैसे पेट में ऐंठन, मतली, उल्टी, लालिमा, दस्त, पेट में दर्द और आपके मुंह के आसपास सूजन, सांस लेने में बाधा, चेहरे पर खुजली और लालिमा, सिरदर्द और चक्कर आना।

सर्दी की समस्या


    आंवला शरीर के तापमान को काफी हद तक कम करता है। जिसके कारण सर्दी के लक्षण बिगड़ सकते हैं क्योंकि यह एक प्राकृतिक शीतलक है। यदि आप पहले से ही सर्दी या किसी अन्य संबंधित स्थिति से पीड़ित हैं तो यह स्थिति को और बढ़ा देगा। त्रिफला के रूप में आंवले का प्रयोग करें। आंवला पाउडर के किसी भी दुष्प्रभाव से बचने के लिए इसे गर्म पानी में एक चम्मच शहद के साथ मिलाकर पिएं।


Thursday, June 3, 2021

ये पति पत्नी पिछले 17 सालों से बीमार नहीं हुए, प्रकृति से जुड़े रहते हैं और मिट्टी के घर में रहते हैं, जानिए इनकी जीवनशैली






अच्छे स्वास्थ्य की कामना सभी को होती है। हम सभी चाहते हैं कि स्वस्थ जीवन जिएं, कोई बिमारी न हो, किसी प्रकार के दवा खाने की जरुरत न पड़े। परंतु ऐसा होता नहीं है। अक्सर हम सभी बीमार पड़ते रहते हैं। उदाहरण के लिए कभी सर्दी-जुकाम, बुखार, खांसी जैसे सामान्य बीमारी से पीड़ित रहते है तो कभी-कभी किसी को गम्भीर बीमारी की वजह से कई दिनों-महीनों तक बीमारी की चपेट में रहना पड़ता है।

आज के इस कहानी के माध्यम से हम आपको एक ऐसे दंपति के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्हें 17 वर्षों से कभी दवाई खाने की जरुरत नहीं पड़ी। वे कभी बीमार नहीं पड़े। आइए जानते हैं उस दंपति के स्वस्थ जीवन के पीछे राज के बारे में।








    हरी कन्नूर के स्थानीय जल प्राधिकरण में कर्मचारी हैं। उनकी पत्नी आशा  किसानों को प्राकृतिक खेती के लिए बढ़ावा देने वाले एक समुदाय से जुड़ी हुईं हैं। इन दोनों को प्रकृति से बेहद प्रेम है। प्रकृति के प्रति उनका लगाव उनकी जीवनशैली में भी दिखाई देता है। हरी और आशा अपनी शादी के समारोह में कुछ अन्य पर्यावरण प्रेमियों को भी बुलाया था। सभी मेहमानों का स्वागत फलों और केरल की पारंपरिक मिठाई ‘पायसम’ से किया गया।

    जब इस दंपति ने घर बनाने का विचार किया तो उस समय दोनों ने तय किया था कि घर न सिर्फ उर्जा से भरपूर हो बल्कि प्रकृति के भी समीप हो। दंपति के इस कार्य मे उनके एक आर्किटेक्ट दोस्त ने सहायता किया और अन्ततः हरी और आशा के सपनों का घर बनकर तैयार हो गया। उनका घर 960sq.ft. है और वह केरल राज्य के कन्नूर जिले में स्थित है। आधुनिकीकरण के नए जमाने में वह घर मिट्टी से निर्मित किया गया है। ऐसा घर बनाने की प्रेरणा आदिवासी तबके से लिया गया है, जो ऐसे हीं घरों में रहते हैं।








मिट्टी की दीवारें भी सांस लेती है




    दिन के वक्त में मिट्टी की दीवारें सूर्य की किरणों को घर के भीतर प्रवेश करवाती है। जब तक घर के भीतर की हवा सूर्य की गर्मी से गर्म होता है, शाम हो जाती है, इसकी वजह से रात के 11 बजे तक घर का तापमान अधिक होता है। उसके बाद हवा ठंडी होने लगती है। हवा के आने जाने की वजह से घर मे पंखे की आवश्यकता नहीं है। इस घर की छत कंक्रीट और नालीदार टाइल से बनाया गया है। केरल में अधिक वर्षा होने की वजह से हरी और आशा ने कंक्रीट का प्रयोग किया है।

    दंपति के सपनों के इस घर में बिजली का उपयोग बेहद कम होता है। उन्होंने प्रकाश की व्यवस्था करते समय ध्यान रखा कि प्रत्येक लैंप को इस प्रकार से लगाया जाए जिससे ज्यादा दूर तक प्रकाश फैल सके। इस घर को प्राकृतिक रोशनी प्रचुर मात्रा में मिलती है।

   दंपति ने फैसला किया है वह फ्रिज नहीं रखेंगे। इसकी वजह यह है कि अपने द्वारा उगाए गए फलों और सब्जियों को अधिक समय तक ताजा ही खाते हैं। कभी अधिक समय तक कुछ रखना हो इसके लिए हरि और आशा ने किचन के एक कोने में ईंटों को जोड़कर के एक चौकोर जगह बनाई है जिसके अंदर एक मिट्टी का घड़ा रख दिया है। घड़े के अंदर रखा भोजन एक सप्ताह तक खराब न हो इसके लिए घड़े को चारों ओर से रेत से ढक दिया गया है।

    हरि और आशा ने अपने घर में सोलर पैनल भी लगवाया है। उनके घर का किचन बायो गैस से चलता है। घर से निकलने वाले सभी कचरे और मल को बायो गैस में तब्दील कर दिया जाता है। सामान्यतः एक आम घर में बिजली की खपत लगभग 50 यूनिट होती है। लेकिन इस दंपति के घर में प्रत्येक महीने में सिर्फ 4 यूनिट बिजली का उपयोग होता है। इनके घर में आधुनिक उपकरण भी हैं। इनके घर में टीवी, कम्प्यूटर, मिक्सर जैसे अन्य उपकरण भी हैं। हरि और आशा दोनों उर्जा का सही इस्तेमाल करना बखूबी जानते हैं।



 


     हरि और आशा का सपनों का यह घर उनके द्वारा बनाए गए एक छोटे से जंगल के बीचों-बीच है। यहां अब तक कई तितलियों, चिड़ियों और जानवरों का बसेरा बन चुका है। वे अपनी भूमि पर कई तरह के फल और सब्जियों को प्राकृतिक रूप से उगाते हैं। वे सिर्फ बीज बोने के समय ही खुरपी का प्रयोग करते हैं उसके बाद वे भूमि की जुताई नहीं करते हैं। प्राकृतिक खाद का प्रयोग भी बेहद सावधानीपूर्वक किया जाता है ताकि भूमि का अपना पोषक तत्व नष्ट न हो।

   

    हरि और आशा को विश्वास है कि प्राकृतिक जीवन जीने से उनकी सेहत को बेहद लाभ प्राप्त हुआ है। बीते 17 वर्षों से उन्होंने दवा का सेवन नहीं किया है। पौष्टिक भोजन और शरीर को प्राकृतिक स्वभाव से छेड़-छाड़ न करने की वजह से इस दम्पती को किसी भी गंभीर बीमारी ने अभी तक छुआ नहीं हैं।

    हरि ने बताया कि यदि कभी-कभी सर्दी-जुकाम हो जाए तो अधिक पेय, थोड़ा आराम और उपवास से शरीर फिर से स्वस्थ हो जाता है।

    हरि और आशा की तरह सभी कोई खुद का जंगल नहीं बना सकता है। परंतु 2 बात उनकी जीवनशैली से सीख सकते हैं। पहला प्रकृति के साथ मिलकर चलना और दूसरा स्वयं को सादा और व्यवस्थित रखना।

Featured Post

जयसिंह मांठ के आतिथ्य में गुढा गौड़जी के टैगोर शिक्षण संस्थान में युवा दिवस सम्पन्न।

झुंझुनू, गुढा गौड़जी। राष्ट्रीय युवा दिवस पर पर टैगोर शिक्षणी संस्थान गुढ़ा गौड़जी में भाजयुमो के जिलाध्यक्ष जयंसिंह मांठ के मुख्य...

Popular Posts