और आगे कहा: “धारा 438 CrPC के तहत अग्रिम जमानत देना एक अपवादात्मक शक्ति है, जिसे सामान्य रूप से प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए।”
सुप्रीम कोर्ट ने उन सभी मामलों में SFIO की अपील स्वीकार कर ली, जहां आरोपी समन या चार्जशीट के बाद कानून से बचते रहे, और हाईकोर्ट द्वारा दी गई अग्रिम जमानत को रद्द कर दिया। हालांकि, कोर्ट ने अक्षत सिंह, नवीन कुमार और महेश दत्त शर्मा के विरुद्ध SFIO की अपील खारिज कर दी, क्योंकि विशेष अदालत ने स्वयं उन्हें अग्रिम जमानत दी थी और उनके खिलाफ कोई गैर-जमानती वारंट या धारा 82 की कार्यवाही नहीं की गई थी।
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